काश तुम्हारे क़दमों की आहट ने,चेहरे के रंग न उडाये होते..
काश उन अदाओं पर, तुम न यूं मुस्कुराये होते..
न बैचैन सा रहता दिल मेरा...न साथ तुम्हारे ये बेनाम साये होते....
-ममता पंडित
काश उन अदाओं पर, तुम न यूं मुस्कुराये होते..
न बैचैन सा रहता दिल मेरा...न साथ तुम्हारे ये बेनाम साये होते....
-ममता पंडित
No comments:
Post a Comment