Sunday, February 14, 2016

साये

काश तुम्हारे क़दमों की आहट ने,चेहरे के रंग न उडाये होते..
काश उन अदाओं पर, तुम न यूं मुस्कुराये होते..
न बैचैन सा रहता दिल मेरा...न साथ तुम्हारे ये बेनाम साये होते....
-ममता पंडित 

Thursday, February 11, 2016

तमाम दुनिया भटक आये ..अब ज़रा कहीं ठहरे तो सुकून आये